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बूढ़ा गाता है एक पद्य,दुहराता है दूसरा बूढ़ा,भूगोल और इतिहास से परेकिसी दालान में बैठा हुआ!न बच्चा रहेगा,ने बूढा,न गेंद, न फूल, न दालानरहेंगे फिर भी शब्दभाषा एकमात्र अनन्त है।

Answer»

सन्दर्भ--पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत अंश में कवि कहता है कि सब कुछ समाप्त होने के उपरान्त भी भाषा की विद्यमानता रहेगी; क्योंकि भाषा अनन्त है।

व्याख्या–कवि कहता है कि हमें प्राचीन काल से सम्बन्धित ज्ञान इतिहास और भूगोल जैसे विषयों की सहायता से प्राप्त हो जाता है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब इतिहास और भूगोल भी नहीं लिखे गये थे, भाषा का अस्तित्व उस समय भी था।  उस समय भी कोई एक वृद्ध व्यक्ति जब कोई पद गुनगुनाता था तो घर के ही किसी अन्य भाग में बैठा हुआ कोई अन्य वृद्ध उसी पद को या अन्य किसी पद को गुनगुना उठता था और इसी माध्यम से भाषा आज तक चलती चली आ रही है। कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि भाषा की विद्यमानता किसी-न-किसी रूप में सदैव रही है।

पुनः कवि कहता है न बच्चा रहेगा, न वृद्ध; क्योंकि बच्चा एक समयान्तराल पर वृद्ध हो जाएगा और वृद्ध जीवन छोड़ चुका होगा। न गेंद रहेगा, न ही फूल और न ही दालान; क्योंकि ये सभी वस्तुएँ नश्वर हैं। एक-न-एक दिन सभी को समाप्त हो ही जाना है। लेकिन इन सबके समाप्त हो जाने के बाद भी शब्द बने। रहेंगे; क्योंकि वह भाषा का ही एक भाग है और भाषा ही एकमात्र अनन्त है।

काव्यगत सौन्दर्य-
⦁    कवि ने भूगोल और इतिहास से पहले भाषा की सत्ता को स्वीकार किया है।
⦁    भाषा–सरल और सहज शब्दों से युक्त।
⦁    शैली—विवेचनात्मक।
⦁    छन्द-अतुकान्त और मुक्त।
⦁    शब्दशक्ति–अभिधा, लक्षण और व्यंजना।
⦁    भावसाम्य-भाषा का एक अंश होने के कारण शब्द भी अनन्त है; क्योंकि अनन्त का अंश भी अनन्त ही होता है। भारतीय उपनिषद् ग्रन्थ भी इसकी स्वीकारोक्ति करते हैं
ॐ पूर्णः पूर्णमिदं, पूर्णात् पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवावशिष्यते ॥



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