1.

ओ जंगल युवा,बुलाते हो।आता हूँ।एक हरे वसन्त में डूबा हुआआऽताऽ हूँ …।सन्दर्भ-पूर्ववत्।।

Answer»

प्रसंग-युवा जंगल के बुलाने पर कवि सहर्ष उसके आह्वान को स्वीकार करता हुआ अपने मन के विचारों को स्पष्ट कर रहा है।

व्याख्या-कवि युवा जंगल को सम्बोधित करता हुआ कह रहा है कि यदि तुम मुझे बुला रहे हो तो मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। मैं स्वयं को हरियाली से युक्त वसन्त में पूर्णरूपेण ओत-प्रोत करके आता हूँ। आशय यह है कि कवि उस समय अपने को  भी एक वृक्ष के रूप में ही कल्पित कर रहा है। जब हम किसी के साथ; चाहे वह जड़ हो या चेतन; स्वयं को आत्मसात् करके देखते हैं तो उसके सुख-दु:ख हमें अपने ही सुख-दु:ख प्रतीत होते हैं। जब हमारा दृष्टिकोण विस्तृत होता है तो हम स्वयं में सारी प्रकृति को और सारी प्रकृति में स्वयं को समाहित देखते हैं; अर्थात् भिन्नता जैसी कोई वस्तु होती ही नहीं और यदि होती भी है तो वह स्वार्थ ही है। स्वार्थी व्यक्ति को प्रकृति में सभी भिन्न दिखाई देते हैं।

काव्यगत सौन्दर्य-
⦁    प्रकृति के साथ एकात्मभाव की कल्पना अद्भुत है।
⦁    भाषा-बोलचाल की खड़ी बोली
⦁    शैली–प्रतीकात्मक।
⦁    छन्द-अतुकान्त और मुक्त।
⦁    अलंकारमानवीकरण।
⦁    गुण–प्रसाद।



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