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Chitrangada ki mrutyu Kaise Hui​

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चित्रांगद का वध चित्रांगद नाम के गंधर्वराज ने किया था। महाभारत के एक पात्र चित्रांगद राजा शांतनु के बड़े पुत्र थे, जो सत्यवती से उत्पन्न हुए थे। राजा शांतनु के सत्यवती से दो पुत्र थे, चित्रांगद और विचित्रवीर्य। जब चित्रांगद और विचित्रवीर्य छोटे थे, तभी ही राजा शांतनु की मृत्यु हो गई और उनके सौतेले भाई भीष्म, जोकि राजा शांतनु की पहली पत्नी गंगा के पुत्र थे, उन्होंने अपने दोनों छोटे सौतेले भाइयों का पालन पोषण किया था। जब चित्रांगद बड़े हो गए तो भीष्म ने उनका राज तिलक कर हस्तिनापुर की राज गद्दी पर बैठा दिया। अपने अल्प कालीन राज्य काल में चित्रांगद का गंधर्वों से विवाद हो गया और गंधर्व से युद्ध करते हुए चित्रांगद की मृत्यु हो गई थी। जब चित्रांगद जब राज गद्दी पर बैठे थे, तो उन्हें अपनी वीरता पर अभिमान हो गया था। इस कारण वह अपने आसपास के पड़ोसी राजाओं का सम्मान नहीं करते थे। वह मनुष्यों,  देवताओं और असुरों का भी अनादर करने लगे। एक बार उनका महाबली गंधर्व राज जो कि उनका ही हमनाम था अर्थात चित्रांगद, उससे विवाद हो गया और 3 वर्षों तक चले युद्ध में अंततः कुरुराज चित्रांगद गंधर्वराज चित्रांगद के हाथों वीरगति को प्राप्त हुये अर्थात चित्रांगद का वध चित्रांगद नाम के ही गंधर्वराज ने किया था।



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