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चिड़िया और चुरुगन poem anyone has​

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और चुरुंगुनहरिवंशराय बच्चनछोड़ घोंसला बाहर आया,देखी डालें, देखे पातऔर सुनी जो पत्ते हिलमिलकरते हैं आपस में बातमाँ, क्या मुझको उड़ना आया?‘नहीं, चुरुंगुन, तू भरमाया’यह कविता हरिवंशराय बच्चन ने लिखी है। इस कविता में कवि ने किसी चिड़िया के चूजे की बाल-सुलभ जिज्ञासा का वर्णन किया है। नन्हा चूजा जल्दी से उड़ना चाहता है ताकि पूरी दुनिया देख सके और उसके बारे में जान सके। उस चूजे का नाम है चुरुंगुन। चुरुंगुन घोंसले से बाहर निकलता है और डालियाँ तथा पत्तों को देखता है। जब पत्ते सरसराते हैं तो उसे लगता है कि वे आपस में बातें कर रहे हैं। उसे लगता है कि उसने उड़ना सीख लिया है। लेकिन जब वह अपनी माँ से पूछता है कि क्या उसे उड़ना आ गया है तो उसकी माँ कहती है कि नहीं यह केवल उसके मन का भ्रम है।



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