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चिन्तन की प्रक्रिया पर अन्धविश्वासों का क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।

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चिन्तन की तटस्थ प्रक्रिया पर व्यक्ति के अन्धविश्वासों को प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास से ग्रस्त व्यक्ति तटस्थ एवं सामान्य चिन्तन नहीं कर पाता है। उदाहरण के लिए कुछ व्यक्तियों का अन्धविश्वास है कि यदि किसी कार्य को प्रारम्भ करते समय कोई छींक दे तो कार्य में बाधाएँ आती हैं। इस प्रकार के अन्धविश्वास वाला व्यक्ति अपने कार्य में उत्पन्न होने वाली बाधाओं के यथार्थ कारण को जानने के लिए तटस्थ चिन्तन कर ही नहीं सकता, वह बार-बार छींकने वाले व्यक्ति को ही दोष देता है। अत: तटस्थ एवं प्रामाणिक चिन्तन के लिए व्यक्ति को हर प्रकार के अन्धविश्वासों से मुक्त होना अनिवार्य है।



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