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चित्रों का अवलोकन करके अपने शब्दों में कहानी लिखिए :

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लकड़हारा और देवदूत
एक लकड़हारा था। वह रोज जंगल में जाता, लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में बेच देता था। इन पैसों से ही उसके परिवार का गुजारा होता था।
एक दिन लकड़हारा एक पेड़ पर चढ़कर उसकी एक डाल काट रहा था। पेड़ नदी के किनारे था। अचानक उसकी कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूट गई और नीचे नदी में जा गिरी। लकड़हारा पेड़ से उतरा, पर उसे तैरना नहीं आता था। अतः उदास होकर वहीं बैठ गया।

संयोग से एक देवदूत वहाँ से गुजरा। उसकी दृष्टि लकड़हारे पर पड़ी। उसने लकड़हारे से उसकी उदासी का कारण पूछा। लकड़हारे ने उसे नदी में अपनी कुल्हाड़ी गिरने की बात बताई। देवदूत ने कहा, “तुम घबराओ मत। मैं नदी से तुम्हारी कुल्हाड़ी निकाल दूंगा।”

देवदूत ने पहले एक सोने की कुल्हाड़ी निकाली और पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।” तब देवदूत ने चाँदी की कुल्हाड़ी निकाली। लकड़हारे ने कहा, “यह भी मेरी 

कुल्हाड़ी नहीं है।” अंत में देवदूत ने लोहे की कुल्हाड़ी निकाली उसे देखकर लकड़हारा खुशी से चिल्ला उठा, “हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”

देवदूत लकड़हारे की ईमानदारी पर बहुत खुश हुआ। उसने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी लकड़हारे को इनाम के रूप में दे दी।



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