InterviewSolution
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एक बैटरी द्वारा `1.5 muF` धारिता के संधारित्र को `88.5 muC` आवेश देकर बैटरी को हटा लिया जाता है। अब संधारित्र को 12 mH प्रेरकत्व वाली कुण्डली के समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाता है जिससे परिपथ में वैद्युतचुम्बकीय दोलन प्रारम्भ हो जाते हैं। ज्ञात कीजिये- (i) वैद्युतचुम्बकीय दोलनों की आवृत्ति | (ii) संधारित्र में संचित अधिकतम ऊर्जा। (iii) कुण्डली में संचित अधिकतम ऊर्जा। (iv) परिपथ में धारा का अधिकतम मान। |
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Answer» प्रश्नानुसार, संधारित्र की धारिता `C = 1.5 muF = 1.5 xx 10^(-6) F` संधारित्र पर आवेश `Q_(0) = 88.5 muC = 85.5 xx 10^(-6)C` कुण्डली का प्रेरकत्व `L = 12 mH = 12 xx 10^(-3)H` (i) वैद्युतचुम्बकीय दोलनों की आवृत्ति `v = (1)/(2pi sqrt(LC)) = (1)/(2 xx 3.14 sqrt((12 xx 10^(-3)) xx(1.5 xx 10^(-6))))` = 1186.3 Hz (ii) संधारित्र में संचित अधिकतम वैद्युत ऊर्जा `U_(EO) = (Q_(0)^(2))/(2C) = ((85.5 xx 10^(-6))^(2))/(2 xx 1.5 xx 10^(-6))` ` = 2.43675 xx 10^(-3)` जूल (iii) कुण्डली में संचित अधिकतम चुम्बकीय ऊर्जा `U_(BO) = U_(EO) = 2.43675 xx 10^(-3)` जूल (iv) यदि परिपथ में प्रवाहित धारा का अधिकतम मान `I_(0)` हो तो `U_(BO) =(1)/(2) LI_(0)` `I_(0) = sqrt((2U_(BO))/(L))` ` = sqrt((2 xx 2.43675 xx 10^(-3))/(12 xx 10^(-3)))` =0.637 ऐम्पियर = 637 मिली ऐम्पियर |
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