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एक प्रतिरोधहीन कुण्डली अपने में से दिष्ट धारा को गुजारती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा को रोकती है क्यों ?

Answer» एक प्रतिरोधहीन कुंडली का प्रतिघात `X_(L)=omegaL`
जहाँ `omega`, कुंडली में प्रवाहित धरा की आवृत्ति है चूँकि दिष्ट धारा की आवृत्ति शून्य होती है इसलिए दिष्ट धारा के लिए कुंडली का प्रतिघात (या प्रतिरोध) शून्य होता है । प्रतिरोध होने के कारण कुण्डली दिष्ट धारा को गुजरने देती है |
इसके विपरीत, उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा के लिए कुण्डली का प्रतिघात `X_(L)` बहुत अधिक होता है इसी कारण कुण्डली प्रत्यावर्ती धारा को प्रवाहित होने से रोकती है ।


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