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घर बेचने से माँ को क्यों दुःख हो रहा था?

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गाँव के पुराने घर से मां का गहरा जुडाव था। उसके निर्माण में भी उन्होंने योग दिया था। उन्होंने उस घर की शहतीर तक ईंटें चढाई थीं। उन्होंने शहतीर तक गारे के तसले चढाए थे। उनकी संतानों का जन्म भी उसी पुराने घर में हुआ था। मां का अधिकांश जीवन उसी घर में बीता था। वह उनके जीवन में हुए अनेक अच्छे-बुरे प्रसंगों का साक्षी था। उसे बेचना उनके लिए अपने आत्मीय जन से बिछुड़ने के समान था। वे अपने जीते जी उसे बिकते नहीं देख सकती थीं। इसलिए घर बेचने से माँ को दुःख हो रहा था।



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