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घर न बेचने के निर्णय के बाद लेखक को कैसा अहसास हुआ?

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घर बेचने के निर्णय को लेकर लेखक की माँ के भावुक हो जाने के बाद घर अभी न बेचने का निर्णय किया गया। इस निर्णय से लेखक के परिवारवालों की छाती पर से जैसे पत्थर-सा हट गया। उसे ऐसा लगा मानो बरसात के बाद खुले आकाश जैसा मां का मुंह देखकर जर्जरित घर हंस रहा हो। सभी को अदृष्ट गृहदेवता की प्रसन्नता का स्पर्श हुआ।



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