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गुप्तजी ने भारत के गौरव को किस रूप में हमारे सामने रखा है.?

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गुप्तजी कहते हैं कि भारत प्रकृति का पुण्य लीला-स्थल है। यह ऋषियों की पावन भूमि है। भारत ही संसार का सिरमौर है। भगवान की बनाई हुई भव-भूतियों का सबसे पहला भंडार भारतवर्ष ही है। यहाँ के निवासी आर्यों की यह प्रसिद्ध भूमि है। आर्यों ने ही संसार को विद्या और कला-कौशल की शिक्षा दी। इस प्रकार कवि ने भारत के गौरव को हमारे सामने रखा है।



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