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“हमारे हरि हारिल की लकरी।” इस पद में गोपियों ने उद्धव को क्या समझाने का प्रयास किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

Answer»

गोपियाँ प्रेमपंथ की पथिक थीं और उद्धव नीरस योग के साधक और समर्थक। वह गोपियों की विरह वेदना को समझ पाने में असमर्थ थे। अत: गोपियों ने हारिल पक्षी के उदाहरण से अपनी बात आरम्भ की। उन्होंने उद्धव से कहा कि उनके लिए श्रीकृष्ण’ हारिल की लकड़ी’ के समान हैं। जैसे हारिल पक्षी सदा वृक्ष की टहनी पंजे में दबाए रहता है, उसी प्रकार गोपियों के जीवन में कृष्ण समाए हुए हैं। उन्हें त्याग कर योग पथ को अपनाना उनके लिए किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है।



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