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हुवेनसांग ने हर्ष की प्रशंसा में क्या कहा था?

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हवेनसांग ने हर्ष की प्रशंसा में कहा है कि “अनेक राजाओं के सम्पर्क में मैं आया किन्तु हर्ष जैसा कोई नहीं। मैंने अनेक देशों में भ्रमण किया है किन्तु भारत जैसा कोई देश नहीं। भारत वास्तव में महान देश है और महत्ता का मूल है- उसकी जनता तथा हर्ष जैसे उसके शासक।”



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