1.

ईष्यामहमारे विकास में सहायक कैसे बन सकती है।​

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ANSWER:

जिससे ईर्ष्या करता है वह तो निर्विकार भाव से अपना कर्म करता चलता है और अपनी सफलता, विकास के क्रम को अबाध गति से आगे बढ़ाता रहता है, पर ईर्ष्या करने वाला अपने अंदर नकारात्मकता की भावना विकसित कर लेता



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