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इस कविता का अर्थ क्या है फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना! सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना! सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना! लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना!​

Answer» SORRY brother I cannot answer your question because my phone has not hindi language PLEASE MARK me BRAINLIST


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