1.

‘जब तक समाज का सारा ढांचा नहीं बदलता तब तक कुछ होने का नहीं।’ लेखिका के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Answer»

लेखिका के इस कथन से हम पूरी तरह सहमत नहीं हैं क्योंकि जब तक समाज की रूढ़ियों से ग्रस्त परंपराओं को धीरे-धीरे बदला नहीं जाएगा तब तक समाज का सुधार भी नहीं हो सकता। यह परिवर्तन एकदम तथा अपने आप नहीं हो सकता। इसके लिए हममें से कुछ लोगों को पहल करनी होगी तथा हमारे नये कदमों की आलोचना करने वालों की चिंता न करते हुए हमें समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करना होगा। जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता है उसी प्रकार से हम में से एक-एक व्यक्ति के द्वारा किया गया समाज सुधार का प्रयास समस्त समाज को भी बदल सकता है। जैसे इस कहानी में अरुणा ने चपरासियों के अनपढ़ बच्चों को पढ़ा कर साक्षर बनाया गया तथा दो अनाथ बच्चों को अपनी सन्तान के समान पाल-पोस कर बड़ा किया। अतः समाज को बदलने के लिए धीरे-धीरे किए गए प्रयास भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।



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