1.

कार्य पर एक निबंध लिखिए। कार्यों की विद्यमान श्रेणी तथा ये किस तरह बदलती हैं, दोनों पर ध्यान केंद्रित करें।

Answer»

कार्य का संबंध भूमिका निष्पादन से हैं। प्रत्येक परिवार एवं गृह में कार्यों का स्पष्ट विभाजन विद्यमान होता है। कार्य स्पष्ट रूप से सवेतन रोजगार का द्योतक है। कार्य की यह आधुनिक संकल्पना अत्यधिक सरलीकृत है क्योंकि बहुत-से कार्य सवेतन नहीं होते। उदाहरणार्थ-अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में किए जाने वाले अधिकांश कार्य प्रत्यक्षतः किसी औपचारिक रोजगार आँकड़ों में नहीं गिने जाते। नकद भुगतान के अतिरिक्त कार्य या सेवा के बदले वस्तुओं या सेवाओं का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान भी किया जाता है। भारत में जजमानी व्यवस्था का प्रचलन इसी का द्योतक है। पूर्व आधुनिक समाजों में अधिकतर लोग खेती में कार्य करते या पशुओं की देखभाल करते थे। औद्योगिक समाजों में छोटा भाग कृषि कार्यों में संलग्न होता है तथा स्वयं कृषि का औद्योगीकरण हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि कृषि में भी मानव द्वारा किए जाने वाले कार्य को मशीनों द्वारा किया जाने लगता है। सेवा क्षेत्र का विस्तार कार्यों में विविधता लाता है। इसीलिए अत्यधिक जटिल श्रम-विभाजन को आधुनिक समाजों का लक्षण माना जाता है। आधुनिक समाज में कार्य की स्थिति में परिवर्तन देखा जा सकता है। पहले कभी पूरा परिवार कार्य की इकाई माना जाता था, जबकि अब घर और कार्य एक-दूसरे से अलग हो गए हैं। उद्योगों में कार्य करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की भी आवश्यकता होती है। पिछले कुछ दशकों से भूमंडलीकरण के कारण ‘उदार उत्पादन’ और ‘कार्य के विकेंद्रीकरण’ की तरफ झुकाव देखा जा सकता है।

कई बार कार्यों की विद्यमान श्रेणी में भी परिवर्तन स्पष्ट देखे जा सकते हैं। उदाहरणार्थ-जब पुरुष शहरी क्षेत्रों में चले जाते हैं तो महिलाओं को हल चलाना पड़ता है और खेतों के कार्य का प्रबंध करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में वे अपने परिवार की एकमात्र भरण-पोषण करने वाली बन जाती हैं। दक्षिण-पूर्व महाराष्ट्र तथा उत्तरी आंध्र प्रदेश में कोलम जनजाति समुदाय में इस प्रकार के परिवर्तनों से ही महिला-प्रधान घरों की संकल्पना का विकास हुआ है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions