InterviewSolution
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कहानी लिखते समय ध्यान में रखने योग्य बातें. |
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Answer» रूपरेखा : कहानी लिखने के पहले प्रश्नपत्र में दी गई पूरी रूपरेखा दो-तीन बार सावधानी से पढ़नी चाहिए, क्योंकि रूपरेखा के आधार पर ही कहानी लिखने के लिए कहा जाता है। रूपरेखा को ध्यानपूर्वक पढ़ने से पूरी कहानी भलीभाँति समझ में आ जाएगी। विद्यार्थी को तय कर लेना चाहिए कि वह अपनी ओर से कहाँ कितना रंग भर सकता है, अपनी कल्पना का कितना उपयोग कर सकता है, उसे किस संकेत का कितना विस्तार करना है। कहानी के प्रत्येक संकेत पर केवल एक-एक वाक्य लिख देने से ही कहानी नहीं बनती। वर्णन, विस्तार और वार्तालाप की त्रिवेणी कहानी में नया रंग भर देती है।
कहानी भूतकाल में लिखनी चाहिए। पात्रों के संवाद वर्तमान अथवा भविष्यकाल में भी हो सकते हैं। रूपरेखा में दिये गये किसी संकेत को छोड़ना नहीं चाहिए। रूपरेखा के संकेतों को क्रमशः लेना चाहिए अर्थात् उन्हें उलटपुलट न किया जाए। परिच्छेदों में विभाजन : पूरी कहानी को एक ही परिच्छेद में लिखना ठीक नहीं है। कहानी में कम से कम तीन परिच्छेद होने चाहिए। संकेत के महत्त्व के अनुसार परिच्छेद का विस्तार होना चाहिए। भाषा-शैली : कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक और प्रवाही होनी चाहिए। व्याकरण की दृष्टि से भाषा शुद्ध होनी चाहिए। वर्तनी और विरामचिह्नों का उचित प्रयोग करना चाहिए। मुहावरों और कहावतों का उचित प्रयोग कहानी में जान डाल देता है। प्रारंभ और अंत : कहानी का प्रारंभ और अंत दोनों संक्षिप्त, रोचक और भावपूर्ण होने चाहिए। शीर्षक : कहानी का शीर्षक कथावस्तु से सम्बन्धित, छोटा-सा, आकर्षक और सूचक होना चाहिए। शीर्षक देते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखिए :
बोध (सीख) : कहानी पूरी होने के बाद अलग परिच्छेद में कहानी से मिलनेवाला बोध (सीख) लिखना (लिखनी) चाहिए। |
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