InterviewSolution
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निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :एक सुहावना वन – इन्द्र का आगमन – वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर भगवान खुश, लेकिन आश्चर्य – एक सूखे वृक्ष पर एक दुःखी तोता – प्रश्न, ‘हरे-भरे वृक्षों को छोड़कर इसी वक्ष पर क्यों?’ – उत्तर, ‘यह वृक्ष पहले हरा-भरा और फलफूलों से सम्पन्न था – अब बुरे दिनों में साथ कैसे छोडूं?’ भगवान का वरदान – सीख। |
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Answer» उपकार का बदला अथवा कृतज्ञ तोता चारों ओर हरे-भरे पत्तों से लदे हुए वृक्ष, कोमल लताएं और महकते हुए फूल! जंगल में वृक्षों पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे। वे मीठे-मीठे फल खाते, झरने का पानी पीते और मधुर गीत गाते थे। ‘ एक बार देवराज इन्द्र सैर करने के लिए उस सुन्दर वन में पधारे । घूमते-घूमते उन्होंने एक सूखे पेड़ पर एक तोते को बैठा हुआ देखा। उसके उदास चेहरे को देखकर देवराज को बहुत अचरज हुआ। उन्होंने तोते से पूछा, “इस जंगल में ये सभी हरे-भरे और फल फूलवाले पेड़ हैं। इन पर रहनेवाले सभी पक्षी सुखी मालूम होते हैं। फिर तुम क्यों इतने उदास हो? इस सूखे पेड़ पर तुम अकेले क्यों बैठे हो? आखिर क्या बात है?” तोते ने उत्तर दिया, “हे भगवन्, पहले यह वृक्ष भी हरा-भरा था। कभी इस पर भी सुगन्धित फूल और मीठे-मीठे फल लगते थे। इसने मुझे आश्रय दिया और आंधी-पानी तथा तूफान में मेरी रक्षा की थी। इसने बहुत प्यार से अपना सबकुछ मुझे दिया है। अब इसकी ऐसी दुर्दशा हो गई है, तो क्या मैं इसका साथ छोड़ दूं? क्या इसका उपकार भूल जाऊं?” तोते की बात सुनकर भगवान इन्द्र बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, “मैं तुम्हारे इस सच्चे प्रेम से बहुत प्रसन्न हूँ। इस सूखे पेड़ को मैं फिर से हरा-भरा कर देता हूँ।” देखते-ही-देखते सूखा पेड़ हरी पत्तियों और फल-फूलों से लद गया! तोते की खुशी का ठिकाना न रहा। बोध : सचमुच, हमें किसी के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए। |
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