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खडी देख आलसी लिए शीश कसली मुझे खूब सुजी हिलाया झुलाया गिरी पर न कलसी ईसी हार को पा हीलायी न सरसो झुलायी न सरसो हवा हु हवा मे बसंती हवा हू इस कविता को अपने शब्द मे अर्थ लिखिए​

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ise soj kar LEKO OKAY samj me aa JAYE HAA y



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