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कहतेहैंन कि यदि लगन लग जाए तो कोई भी कार्य पूर्ण होतेदेर नहीं लगती और यदि लग्न रचनात्मक एवं सकारात्मक हो तो वह प्रति ष्ठा एवं ख्याति अर्जि त कर लेती है।लगन को हम धुन भी कह सकतेहैं ।जैसेतुलसीदास जी को राम धुन लगी तो राम चरि त मानस जैसी कालजई कृति की रचना हुई ।मीराबाई ,चैतन्य आदि नेतो गि रधर गोपाल की धुन मेंही जीवन व्यतीत कि या। वर्तमान समय मेंभी उपरोक्त कार्य समाजसेवि यों द्वारा समाज केउत्थान एवं कल्याण की लगन कुछ इस प्रकार सामनेआ रही हैकि लोग अपनेआसपास केनि र्धन तथा पि छड़ेवर्ग केबच्चों को शि क्षि त करनेका कार्य कर समाज को नई दशा व दि शा प्रदान कर रहेहैं।अतः लगन का मुद्दा कोई भी हो रचनात्मकता एवं सकारात्मकता अवश्य होनी चाहि ए ।जि ससेसमाज को सही दि शा, दशा एवं वसुधैव कुटं ुबकम का सं देश मि ल सके। (क) जीवन मेंलग्न का क्या रूप होना चाहि ए? स्पष्ट क ेंर। (ख) सकारात्मक लगन सेहम क्या अर्जि त कर सकते हैं? (ग) तुलसीदास जी की कृति मेंकि स महान चरि त्र की जीवन गाथा है? कृति एवं चरि त्र का नाम बताइए। (घ) आप इस गद्यांश का क्या शीर्षक देना चाहोगे? (डः) नि म्नलि खि त शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजि ए:- शि कषि त ,सं सकृति , राचनात्मक​

Answer» TION:जीवन मेंलग्न का क्या रूप होना चाहि ए? स्पष्ट क ेंर। व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में जो राशि उदित होती है, उसे ही उसके लग्न की संज्ञा दी जाती है। कुंडली के प्रथम भाव को लग्न कहते हैं। प्रत्येक लग्न के लिए कुछ ग्रह शुभ होते हैं, कुछ अशुभ।। यदि लग्न भाव में 1 अंक लिखा है तो व्यक्ति का लग्न मेष होगा।(ख) सकारात्मक लगन सेहम क्या अर्जि त कर सकते हैं? और यदि लगन रचनात्मक एवं सकारात्मक हो तो वह प्रतिष्ठा एवं ख्याति अर्जित कर लेती है. लगन को हम धुन भी कह सकते हैं, जैसे तुलसीदास जी को रामधुन लगी तो रामचरितमानस जैसी कालजयी कृति की रचना हुई. तुलसीदास जी की कृति मेंकि स महान चरि त्र की जीवन गाथा है? कृति एवं चरि त्र का नाम बताइए।जैसेतुलसीदास जी को राम धुन लगी तो राम चरि त मानस जैसी कालजई कृति की रचना हुई ।मीराबाई ,चैतन्य आदि नेतो गि रधर गोपाल की धुन मेंही जीवन व्यतीत कि या। वर्तमान समय मेंभी उपरोक्त कार्य समाजसेवि यों द्वारा समाज केउत्थान एवं कल्याण की लगन कुछ इस प्रकार सामनेआ रही हैकि लोग अपनेआसपास केनि र्धन तथा पि छड़ेवर्ग केबच्चों को शि क्षि त क(घ) आप इस गद्यांश का क्या शीर्षक देना चाहोगे?(डः) नि म्नलि खि त शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजि ए:- शि कषि त ,सं सकृति , राचनात्मककि हमें हमेशा अपने पथ पर चलना चाहिए और जिस पथ पर हम चल रहे हैं वह पथ हमेशा ही सही होना चाहिए इस प्रकार हमें आशिक मिलता है कि जैसे बड़े-बड़े विद्वानों ने अपने जीवन में एक भी गलत कामों के प्रति अपना मन व्याकुल नहीं किया वैसे ही हमें श्री तुलसीदास जी जैसे जीवन यापन करना चाहिए और एक अच्छा जीवन जीकर अच्छे मृत्यु लोक में प्राप्त हो


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