1.

कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफॉर्म पर खड़ा है। उसने अपनी दोनों बाहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 किग्रा-भार पकड़ रखा है। प्लेटफॉर्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाहों को अपने शरीर के पास ले आता है। जिससे घूर्णन अक्ष से प्रत्येक भार की दूरी 90 सेमी से बदल कर 20 सेमी हो जाती है। प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6किग्रा-मीटर`""^(2)` ले सकते हैं। (i) उसका नया कोणीय वेग क्या है?( घर्षण की उपेक्षा कीजिए) (ii) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है? यदि नहीं, तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?

Answer» दिया है - प्रत्येक द्रव्यमान का भार (m ) = 5 किग्रा
प्रारंभिक कोणीय वेग ` ( omega _ 1 ) = 30 rpm `
` r _ 1 = 90 ` सेमी = ` 0.90 ` मीटर
` r _ 2 = 20 ` सेमी = ` 0.20 ` मीटर
व्यक्ति तथा प्लेटफॉर्म का जड़त्व आघूर्ण ,
` (I ) = 7.6. ` किग्रा - मीटर ` ""^ 2 `
दोनों भारों का जड़त्व आघूर्ण,
` ( I _ 1 ) = m r _ 1 ^ 2 + mr _ 1 ^ 2 `
` = 2 xx mr _ 1 ^ 2 = 2 xx 5 xx ( 0.90 ) ^ 2 `
` = 8.1 ` किग्रा - मीटर ` ""^ 2 `
जब व्यक्ति अपने हाथ सिकोड़ लेता है, तो दो भागो का जड़त्व आघूर्ण,
` I _ 2 = m r _ 2 ^ 2 + m r _ 2 ^ 2 `
` = 2 xx 5 xx ( 0.20 ) ^ 2 `
= 0.4 किग्रा - मीटर `""^ 2 `
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
` I _ 1 omega _ 1 = I _ 2 omega _ 2 `
` therefore ( I + I _ 1 ) xx omega _ 1 = ( I + I _2 ) xx omega_ 2 `
` ( 7 .6 + 8.1 ) xx 30 = ( 7.6 + 0.4 ) xx omega _ 2 `
या ` omega _ 2 = ( 15.7 xx 30 ) /( 8.0 ) = 58.88 ` rpm
` = 58.9 ` rmp
यहाँ, ` I _ 1 omega _ 1 = I _ 2 omega_ 2 `
या ` I _ 1 ^ 2 omega _ 1 ^ 2 = I _ 2 ^ 2 omega _ 2 ^ 2 `
या ` ( 1 ) / (2 ) I _ 1 ( I _ 1 omega _ 1 ^ 2 ) = ( 1 ) / ( 2 ) I _ 2 ( I _ 2 omega _ 2 ^ 2 ) `
या ` ( ( 1 ) / (2 ) I _ 2 omega _ 2 ^ 2)/ ( ( 1 ) / (2 ) I _ 1 omega_ 1 ^2) = ( I _ 1 ) / ( I _ 2 ) `
यहाँ ` I _ 1 gt I_ 2 `
` therefore ( I _ 1 ) /( I _ 2 ) gt 1 `
तथा ` ( ( 1 ) / (2 ) I _ 2 omega _ 2 ^ 2 ) / ( ( 1 ) / (2 ) I _ 1 omega _ 1^ 2 ) gt 1 `
या ` (1 ) / (2 ) I _ 2 omega _ 2 ^ 2 gt (1 ) / ( 2 ) I _ 1 omega _ 1 ^ 2 `
अत: संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। गतिज ऊर्जा में यह हानि डिस्कों के बीच लगे घर्षण बलों के कारण होती है। घर्षण बलों के द्वारा उत्पन्न बल आघूर्ण केवल आन्तरिक है। अत: कोणीय संवेग नियत रहता है


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