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क्षेत्रवाद की समस्या के निवारण हेतु सुझाव दीजिए।

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क्षेत्रवाद की समस्या के निवारण हेतु सुझाव क्षेत्रवाद को रोकने के सम्बन्ध मे निम्नलिखित उपाय सुझाए जा सकते हैं-

⦁    राष्ट्रीय नीति का निर्धारण किया जाए–केन्द्र सरकार की नीति कुछ इस प्रकार की होनी चाहिए कि सभी उप-सांस्कृतिक क्षेत्रों का सन्तुलित आर्थिक विकास सम्भव हो जिससे कि विभिन्न क्षेत्रों के बीच आर्थिक तनाव कम-से-कम हो।
⦁    आधारभूत ढाँचे का विकास किया जाए–सरकार द्वारा बिजली, परिवहन, जल आपूर्ति आदि का समुचित विकास किया जाए जाना चाहिए। यह क्षेत्रवाद को समाप्त करने के लिए आवश्यक है। आधारभूत ढाँचे का विकास औद्योगिक प्रगति में सहायक होगा।
⦁    सांस्कृतिक एकीकरण के लिए प्रयास किए जाएँ-प्रचार के विभिन्न साधनों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के सांस्कृतिक लक्षणों के विषय में लोगों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाया जाए जिससे कि एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्र के प्रति आर्थिक सहनशीलता की भावना को पनपा सकें।
⦁    देश का सन्तुलित विकास किया जाए-सरकार द्वारा विकास की ऐसी योजनाएँ बनानी चाहिए जिससे देश के सभी क्षेत्रों को समान रूप से लाभ प्राप्त हो, सभी क्षेत्रों की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए। विकास योजनाओं में सभी क्षेत्रों के विकास का प्रावधान रखना चाहिए जिससे इन क्षेत्रों में परस्पर तनाव उत्पन्न न हो।
⦁    क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान-राष्ट्र भाषा के अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास तथा सम्मान होना चाहिए। हिन्दी भाषा को किसी क्षेत्रीय समूह पर जबरदस्ती लादा न जाए बल्कि इस भाषा का प्रचार व विस्तार इस ढंग से किया जाए कि विभिन्न क्षेत्रीय समूह स्वतः ही इसे सम्पर्क भाषा के रूप में स्वीकार कर लें।
⦁    क्षेत्रीय राजनीतिक दलों पर प्रतिबन्ध-केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे क्षेत्रीय राजनीतिक दलों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए जो क्षेत्रवाद की भावना में वृद्धि करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को मन्त्री तथा अन्य महत्त्वपूर्ण पद नहीं होने चाहिए जो क्षेत्रवाद में विश्वास करते हैं तथा उसे बढ़ावा देते हैं।
⦁    छोटे राज्यों का गठन करना चाहिए-बड़े व विशालकाय राज्यों का विभाजन कर छोटे राज्यों की स्थापना करनी चाहिए। यह प्रशासनिक कुशलता के लिए आवश्यक है।
⦁    क्षेत्रीय स्वायत्त परिषदों की स्थापना की जाए–सभी क्षेत्र के लोगों को समान आर्थिक सुविधाएँ प्रदान करने हेतु क्षेत्रीय स्वायत्त परिषदों की स्थापना की जानी चाहिए, उन्हें राजनीतिक स्वायत्तता के साथ ही प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता भी प्रदान करनी चाहिए।



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