InterviewSolution
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कविता का सरल अर्थ :(1) घर और दफ्तर ………… और ऑफिस से घर।(2) दिन-महीना बदलता ……….. रोज बदलता हूँ।(3) पर कुछ भी …………. इंतजार करता हूँ।(4) पर क्या करू …….. हरीतिमा देने। |
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Answer» (1) घर और दफ्तर ………… और ऑफिस से घर। कवि जीवन में व्याप्त नीरसता से त्रस्त हैं। वे कहते हैं कि घर और दफ्तर दोनों जगह कैलेंडर टंगे हैं। उसे देखकर मुझे अपने दिनभर के कार्यों की याद आती है। मैं रोज घर से निकलकर ऑफिस जाता हूँ और आफिस से सीधे घर आ जाता है। मेरा सिर्फ इतना ही काम रह गया है। (2) दिन-महीना बदलता ……….. रोज बदलता हूँ। कवि कहते हैं कि जीवन यंत्रवत् हो गया है। एक दिन जाता है, दूसरा दिन आ जाता है। एक महीना बीतता है और दूसरा महीना आरंभ हो जाता है। दिन-महीने बदलते जाते हैं। महीने के साथ कैलेंडर का पन्ना भी बदल जाता है। कवि कहते हैं कि वे भी प्रतिदिन कैलेंडर के पन्ने की भांति बदल जाते हैं। (3) पर कुछ भी …………. इंतजार करता हूँ। कवि कहते हैं कि उनके जीवन में कुछ नयापन बिलकुल नहीं है। अपने पुराने एहसास के साथ रोज सूर्यास्त होने पर वे सुबह की उम्मीद में नएपन का इंतजार करते हैं। (4) पर क्या करू …….. हरीतिमा देने। कवि अपनी मजबूरी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उनके सामने कोई चारा ही नहीं है। सूर्योदय होने पर फिर वही काम शुरू होना है। कवि कहते हैं कि उनके यंत्रवत् जीवन में शुष्कता आ गई है। उन्हें भलीभांति इस बात की जानकारी है कि उनके जीवन की यह शुष्कता दूर करने के लिए उनके जीवन में नयापन, नई चेतना बिलकुल नहीं आनेवाली है, तब भी उन्हें इसका फिर से इंतजार है। |
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