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क्या आप सोचते हैं कि अंतर्विवाह आज भी प्रचलित मानक है?

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अंतर्विवाह का अर्थ है अपने ही समूह में विवाह करना। भारतीय समाज में अंतर्विवाह के नियम स्पष्ट देखे जा सकते हैं। जाति एक अंतर्विवाही समूह है अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ही जाति में विवाह करना पड़ता है। फोलसम (Folsom) के अनुसार अंतर्विवाह वह नियम है जिसके अनुसार एक व्यक्ति को अपनी जाति या समूह में विवाह करना पड़ता है यद्यपि निकट के रक्त संबंधियों में विवाह की अनुमति नहीं होती है। भारत में सभी जातियाँ तथा उपजातियाँ अंतर्विवाह हैं। अंतर्विवाह संबंधी निषेध हिंदुओं, मुसलमानों तथा जनजातियों में भी पाए जाते हैं। इस सब में यह पहले से ही निश्चित है। कि विवाह किनसे किया जा सकता है अर्थात् विवाह का क्षेत्र सीमित है। प्रजातीय भिन्नता तथा अपनी प्रजाति की शुद्धता बनाए रखना इस निषेध का प्रमुख कारण माना जाता है। यद्यपि अंतर्जातीय विवाहों के परिणामस्वरूप आज भारत में अंतर्विवाह का नियम थोड़ा-बहुत शिथिल होने लगा है, तथापि आज भी अधिकांशतया अंतर्विवाह ही एक प्रचलित मानक है। यदि हम वैवाहिक विज्ञापनों को देखें तो उनमें से अधिकांश में जाति का प्रतिबंध लिखा हुआ नहीं होता। इससे यह पता चलता है कि बहुत-से-लोग अब इस अंतर्विवाह के नियम को नहीं मानते हैं।



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