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लेखक ने लॉर्ड कर्जन को शासक का प्रजा के प्रति क्या कर्तव्य बताये हैं ?

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बालमुकुंद गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध देशभक्त रचनाकार हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में शासन व्यवस्था की बात की है। जिसमें शासक के क्या कर्तव्य हैं उन्हें स्पष्ट किया है। इस पाठ में भी ये लॉर्ड कर्जन के माध्यम से शासक के कर्तव्य बोध को याद दिलाते हुए उलाहना देते हुए कहते हैं माइ लॉर्ड, एक बार अपने कामों की ओर ध्यान दीजिए।

आप किस काम को आए थे और क्या कर चले। शासक का प्रजा के प्रति कुछ तो कर्तव्य होता है, यह बात आप निश्चित मानते होंगे। सो कृपा करके बतलाइए, क्या कर्तव्य आप इस देश की प्रजा के साथ पालन कर चले। क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ?

क्या प्रजा की बात पर कभी कान न देना और उसको दबाकर उसकी मर्जी के विरुद्ध जिद्द से सब काम किये चले जाना ही शासन कहलाता है ? एक काम तो ऐसा बतलाइए, जिसमें आपने जिद्द छोड़कर प्रजा की बात पर ध्यान दिया हो। आप तो कैसर और जार से भी ज्यादा जिद्दी हैं। आप तो नादिरशाह से भी अधिक हिंसक हैं।

जो एक शासन व्यवस्था का नहीं हो सकता। शासन तो प्रजा की इच्छा से प्रजा की भलाई के लिए कार्य करता है। आपने जिसके लिए किया उन्हीं ने आपको हटा दिया। इस प्रकार आपने शासन का कर्तव्य नहीं निभाया। परिणाम यह हुआ कि आप भी दुखी और प्रजा भी दुखी। क्या आप सुलतान की तरह आप भारत के ऋण को स्वीकार करेंगे ? और क्षमा याचना करेंगे ? लेकिन आप में यह उदारता कहाँ ?



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