InterviewSolution
| 1. |
‘मंदोदरी की रावण को सीख’ काव्यांश के भावपक्ष पर अपने विचार लिखिए। |
|
Answer» प्रश्नगत काव्यांश कलापक्ष के कलेवर में भावपक्ष के प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण का सुन्दर उदाहरण है। इस पूरे काव्यांश में केवल एक ही पात्र मंदोदरी की भावनाओं का उल्लेख हुआ है। एक पति हितैषिणी पत्नी की भूमिका में मंदोदरी की विविध भावनाएँ पाठक को गहराई से प्रभावित करती हैं। पराई स्त्री के अपहरण जैसे अनुचित और निन्दनीय आचरण में पति को लिप्त देखकर मंदोदरी आहत हो उठती है। वह पति को समझाती है कि वह तुरन्त सीता को सम्मान से उसके पति के पास भिजवा दे। एक स्त्री ही अपहरित स्त्री की पीड़ा को पूर्णता से समझ सकती हैं। काव्यांश के आरम्भ से अंत तक हम मंदोदरी की भावनाओं से परिचित होते चलते हैं। कभी वह पतिव्रता पत्नी के रूप में है। कभी मित्र के रूप में, कभी आँसू भरी आँखों से और कभी व्यंग्य तथा मधुर उलाहना देकर पति को सही मार्ग पर लाने का प्रयत्न करती है। काव्यांश के अंत में विलाप करती मंदोदरी के उद्गार एक उद्देश्य में असफलता, असहाय पत्नी की भावनाओं को उजागर करते हैं। इस प्रकारे कवि नारी हृदय की विविध भावनाओं को सामने लाकर इस काव्यांश के भावपक्ष को बड़ा प्रभावशाली बना दिया है। |
|