1.

मंदोदरी द्वारा राम के विश्वरूप के वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer»

रावण को राम के पराक्रम और प्रभाव से परिचित करा कर सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करते हुए मंदोदरी ने राम के विराट् स्वरूप से परिचित कराया। मंदोदरी ने कहा कि राम कोई सामान्य राजा या योद्धा नहीं है, वह तो सर्वव्यापी और सर्वस्वरूप विराट पुरुष हैं। उनके चरण पाताल हैं, सिर ब्रह्मलोक है। अन्य लोक उनके ही अंगों में निवास करते हैं। उनका क्रोध भयंकर काल है, नेत्र सूर्य और केश बादल हैं। नासिका अश्विनी कुमार उनके पलकों की गति असंख्य रात-दिन हैं। कान दश दिशाएँ हैं, साँस पवन है, वाणी वेद हैं, होठ लोभ का स्वरूप और दाँत भयंकर यमराज हैं। उनकी हँसी ही माया है, भुजाएँ दिशाओं के रक्षक देवता हैं।

मुख अग्नि, जीभ वरुण तथा उनके संकल्प से ही सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार हो रहा है। उनके रोंए अठारह पुराण या विद्याएँ हैं, उनकी अस्थियाँ ही पर्वत और नाड़ियाँ असंख्य नदियाँ हैं। मंदोदरी ने कहा कि विश्वरूप राम का अहंकार ही शिव है, बुद्धि ब्रह्म है, मन चन्द्रमा और चित्त महत् तत्व या सृष्टि का मूल्य तत्व है। यह समस्त ब्रह्माण्ड और चेतन तथा जड़ जीव उन्हीं के स्वरूप हैं। अतः तुम उनसे द्वेष त्याग कर उनकी भक्ति करो। इसी में तुम्हारा और सभी लंकावासियों का कल्याण निहित है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions