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मंत्र परम लघु जासु बस, बिधि हरि हर सुर सर्ब ।महामत्त गजराज कहुँ, बस कर अंकुस खर्ब ।।

Answer»

[ बस = वशीभूत। बिधि = ब्रह्मा। हरि = विष्णु। हर = शंकर। सुर = देवता। अंकुस = अंकुश। खर्ब = छोटा।]

प्रसंग—प्रस्तुत पद्य में मन्त्र और अंकुश के द्वारा सभी देवताओं और हाथी को नियन्त्रित किये जाने । का वर्णन है। |

व्याख्या-गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि धनुष-भंग के समय जब सीताजी की माता श्रीराम को छोटा समझकर, धनुष तोड़ने में असमर्थ मानकर अपनी सखी से शंका प्रकट करती हैं, तब उनकी सखी विभिन्न उदाहरणों के द्वारा उनको  समझाती हुई कहती हैं कि, “जिस मन्त्र के वश में सभी देवता, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि भी रहने को विवश होते हैं, वह मन्त्र भी अत्यधिक छोटा ही होता है।” अत्यधिक विशाल और मदमत्त गजराज को भी महावत छोटे से अंकुश के द्वारा अपने वश में कर लेता है। |

काव्यगत सौन्दर्य-
⦁    भाषा-अवधी।
⦁    शैली–प्रबन्ध और उद्धरण।
⦁    छन्द-दोहा।
⦁    अलंकार-अनुप्रास।
⦁    शब्द-शक्ति-अभिधा और लक्षणा।।



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