1.

नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।(ख) तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं।(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?​

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Answer:

K kh g

Explanation:

TODI humesa tooi kimati RHTA HAI

tum parde ka mahatva hwe nhi jante

jisse tum gharanit jante ho



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