1.

निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए(1) प्रभु तरुतर कपि डार पर, ते किए आपु समान।तुलसी कहुँ न राम से, साहिब सील निधान।(2) सचिव, वैद, गुरु तीनि जो, प्रिय बोलहिं भयु आस।राज, धर्म, तन तीनि कर, होइ बेगिही नास।

Answer»

(1) कवि कहता है कि प्रभु श्री राम जी तो वृक्षों के नीचे और बंदर वृक्षों की डालियों पर रहते थे, परंतु ऐसे बंदरों को भी उन्होंने अपने समान बना लिया। तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरामजी जैसे शीलनिधान स्वामी अन्य किसी स्थान पर कहीं भी नहीं हैं।

(2) कवि कहता है कि स्वामी से तो वह सेवक बड़ा होता है जो अपने धर्म के पालन को करने में निपुण होता है। इसीलिए स्वामी श्रीराम तो सागर पर पुल बंधने के बाद ही समुद्र पार कर सके परंतु उनका सेवक हनुमान तो बिना पुल के ही समुद्र लांघ गया था।



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