 
                 
                InterviewSolution
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    				| 1. | निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिएउठ-उठ लहरें कहतीं यहहम कूल विलोक न पाएँ,पर इस उमंग में बह-बहनित आगे बढ़ती जाएँ। | 
| Answer» कवि कहता है कि अनंत आकाश में छाए हुए अंधकार में निरंतर चमकने वाली ताराओं की पंक्तियाँ देखकर प्रतीत हो रहा है जैसे वह कह रही हों कि संपूर्ण जीवन करुणा तथा दुःख से भरा हुआ है। जिस प्रकार निरंतर दुःख सहते हुए किसी की आँखों में से आँसू बह जाते हैं और आँसुओं से भरी आँखों को देखकर दूसरे में सहानुभूति के कारण करुणा का संचार हो जाता है, उसी प्रकार विश्वव्यापी दुःख, अवसाद, विपन्नता और विषमता को देखकर अपलक ताराओं की करुणा से भरी आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं। आँखों की भाषा नीरव और मौन होती है। केवल आँसुओं के माध्यम से ही प्रकट होती है। | |