1.

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं।

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प्रस्तुत पंक्ति में कवि का आशय यह है कि कर्मवीर व्यक्ति भाग्य के भरोसे कभी नहीं बैठते और न ही कभी उन्हें दुख होता है और न ही वे कभी असफल होते हैं और न ही भी पछताते हैं।



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