1.

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए −(क) अविश्रांत बरसा करके भी आँखे तनिक नहीं रीतीं(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ परछाती धधक उठी मेरी(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थीअटल शांति-सी धारण कर(घ) पापी ने मंदिर में घुसकरकिया अनर्थ बड़ा भारी

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निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए



() अविश्रांत बरसा करके भी



आँखे तनिक नहीं रीतीं



() बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर



छाती धधक उठी मेरी



() हाय! वही चुपचाप पड़ी थी



अटल शांति-सी धारण कर



() पापी ने मंदिर में घुसकर



किया अनर्थ बड़ा भारी



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