1.

निर्भयता के लिए शुक्ल जी ने क्या उपाय बताए हैं?

Answer»

मनुष्य अपने जन्म के समय से ही अपने चारों ओर के वातावरण को दु:खमय पाता है और अपनी अक्षमता के वशीभूत होकर वह दु:ख को अनिवार्य पाता है और दु:ख के कारण के प्रति उसका मन भय से भर जाता है। 

शुक्ल जी ने निर्भीकता के लिए निम्नलिखित उपाय बताए हैं

  1. शारीरिक बल में वृद्धि-शारीरिक बल की वृद्धि होने पर मनुष्य दु:ख के कारण को परिहार्य मान लेता है तथा उससे उसको डर नहीं लगता। साहसी व्यक्ति निर्भीक भी होते हैं।
  2. ज्ञान-बल-जब मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है तो उसको भयभीत करने वाले कारणों का पता चल जाता है और उनसे बचने के उपाय ज्ञात हो जाते हैं। तब भी वह निर्भीक हो जाता है।
  3. सभ्यता का विकास- भय असभ्य तथा जंगली लोगों में अधिक होता है। सभ्यता का विकास होने पर मनुष्य में निर्भीकता आ जाती है। अपरिचित के प्रति भय, भूत-प्रेत के प्रति भय तथा पशुओं के प्रति भय की भावना सम्भ्यता के विकास के साथ पुरुषों के मन से दूर हो जाती है।
  4. सुसंस्कृति और शील-मनुष्य जब सुसंस्कृत और शीलवान हो जाता है तो किसी को कष्ट देने अथवा अपनी शक्ति का प्रयोग उसको पीड़ित करने के लिए नहीं करता। ये चीजें असभ्यता का लक्षण हैं। इनसे मुक्त होने पर मनुष्य द्वारा मनुष्य को दु:ख देने की सम्भावना न रहने पर समाज में निर्भीकता का वातावरण उत्पन्न होता है।
  5. पराक्रम और उत्पीड़क को दण्डित करना–समाज में निर्भीकता का भाव पैदा करने के लिए असभ्य तथा उत्पीड़न करने वालों को दण्डित करना भी आवश्यक होता है। दुष्ट लोग हर समाज में होते हैं जो सज्जनों को सताते हैं। उनको दण्ड द्वारा ही नियन्त्रित किया जा सकता है।
  6. आदर्श शासन-व्यवस्था-संसार में अब दो सबल देशों के बीच आर्थिक स्पर्धा तथा एक सबल तथा दूसरे निर्बल देश के मध्य शोषण की क्रिया चल रही है। इससे भी संसार में भय फैला हुआ है। लोगों को शोषण से मुक्त करके ही निर्भय बनाया जा सकता है। इसके लिए शासन सत्ता का आदर्श तथा न्यायप्रिय होना जरूरी है।


Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions