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पाठ्य पुस्तक में संकलित दोहों के आधार पर कवि बिहारीलाल की भक्ति-भावना का परिचय दीजिए।

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हमारी पाठ्यपुस्तक में कवि बिहारी लाल के भक्तिपरक पाँच दोहे संकलित है। इन दोहों से उनकी भक्ति भावना को पूर्ण परिचय प्राप्त होता है। कवि ने प्रथम दो दोहों में राधा की स्तुति की है। प्रथम दोहे में कवि राधा नागरी से अपने सांसारिक कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करता है। दूसरे दोहे में कवि ने राधा के अनुपम सौन्दर्य का और श्रीकृष्ण के मन में उनके निवास का वर्णन किया है। ऐसा लगता है कि दोहों में भक्ति भावना प्रदर्शित करने के बजाय कवि ने अपनी अलंकार प्रियता और उक्ति वैचित्र्य की कुशलता का परिचय कराया है। प्रथम दोहे में श्लेष का चमत्कार है तो दूसरे दोहे में यमक के चमक-दमक भक्ति भाव पर करती है।

तीसरे दोहे में कवि ने भगवान राम को चुनौती दी है कि वे उस जैसे पापी का उद्धार करके दिखाएँ। चौथे दोहे में कवि ‘स्याम’ पर जमाने की हवा लग जाने का आरोप लगा रहा है और पाँचवे दोहे में कवि ने श्याम के रंग में रंग जाना ही मनुष्य के चित्त धन्यता बतायी है।

कवि के भक्ति भाव को सख्यभाव की भक्ति माना जा सकता है।



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