InterviewSolution
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                                    फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे। बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झनकार रे।बिन सुर राग छतीसू गावै, रोम-रोम रणकार रे।।सील संतोख की केसर घोली, प्रेम-प्रीत पिचकार रे। in char panktiyo la arth kya hai | 
                            
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