1.

“प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै”- इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

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बसंत ऋतु में सूर्योदय होते ही गुलाब चटक (खिल) उठता है, जिसे देखकर कवि कल्पना करता है कि गुलाब चटक कर अर्थात् चुटकी बजाकर बाल बसंत को जगा रहा है।



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