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प्रच्छन्न बेरोजगारी का ख्याल उदाहरण सहित समझाइए ।

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प्रच्छन्न बेरोजगारी को छिपी बेरोजगारी, गुप्त बेरोजगारी या अदृश्य बेरोजगारी भी कहते हैं । यह बेरोजगारी भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक देखने को मिलती है ।

‘किस एक व्यवसाय में प्रवर्तमान टेक्नोलोजी के संदर्भ में आवश्यकता हो उससे अधिक श्रमिक काम करते हो । ऐसे अतिरिक्त श्रमिको को हटा लिया जाये तो भी उत्पादन में कोई फर्क न पड़ता हो तो उसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं ।

रग्नार नर्कस प्रच्छन्न बेरोजगारी की परिभाषा निम्नानुसार देते हैं – ‘यदि उत्पादन के साधनो और उत्पादन की टेकनिक दी हो और अधिक जनसंख्या रखनेवाले विकासशील देशो के कृषि क्षेत्र में विशेष प्रमाण में श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य हो, तो । ऐसे देशो में प्रच्छन्न बेरोजगारी प्रवर्तमान है ऐसा कह सकते हैं ।’

इसे एक उदाहरण से समझें – 5 किसान 10 हेक्टर जमीन में काम करते हों और उत्पादन 500 टन होता हो । अब उसमें से दो किसानों को निकाल दिया जाये तो भी उत्पादन 500 टन ही हो । अर्थात् दो घटाने से उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ता है । अर्थात् उनकी सीमांत उत्पादकता शून्य है । इसलिए वे प्रच्छन्न बेरोजगारी के शिकार है ।



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