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पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् । मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।। 1 ।।Galiसत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ।। 2 ।।​

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tion:पृथ्वी जल और अं न्य , ये तीनों ही प्रमुख रत्न है।और जो मूर्ख लोग हैं ये सोचते हैं कि जवहरत सोना चांदी ही प्रमुख आभूषण और रत्न है । PRITHVI satya KO dharan karti HAI thath sury BHI satya ke hi taap shan kr PATA hai jisse satya ke karar unki prathishth bni hai .yhi saarbhumic satya hai.



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