InterviewSolution
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                                    पर्यावरण-प्रदूषण की रोकथाम कैसे करेंगे? | 
                            
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Answer»  पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम प्रदूषण की समस्या पर विचार करने से यह स्पष्ट हो गया है कि यह एक गम्भीर समस्या है तथा इसके विकराल रूप धारण करने से मानव-मात्र तो क्या, पूरी सृष्टि के अस्तित्व को खतरा हो सकता है। इस स्थिति में बढ़ते हुए पर्यावरणीय-प्रदूषण को नियन्त्रित करना नितान्त आवश्यक है। यह सत्य है। (1) वायु-प्रदूषण पर नियन्त्रणवायु- प्रदूषण के मुख्य स्रोत औद्योगिक संस्थान, सड़कों पर चलने वाले वाहन तथा गन्दगी हैं। अतः वायु-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए इन्हीं स्रोतों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए अंति आवश्यक है कि औद्योगिक संस्थानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ कों नियन्त्रित किया जाए। इसके लिए दो उपाय अवश्य किये जाने चाहिए। प्रथम यह कि चिमनियाँ बहुत ऊंची होनी चाहिए ताकि उनसे निकलने वाली दूषित गैसें काफी ऊँचाई पर वायुमण्डल में मिलें और पृथ्वी पर इनका अधिक प्रभाव न पड़े। दूसरा उपाय यह किया जाना चाहिए कि औद्योगिक संस्थानों की चिमनियों में बहुत उत्तम प्रकार के छन्ने लगाये जाने चाहिए। (2) जल-प्रदूषण पर नियन्त्रण– वायु प्रदूषण के ही समान जल-प्रदूषणों के भी मुख्य स्रोत औद्योगिक संस्थान ही हैं। जल-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए भी औद्योगिक संस्थानों की गतिविधियों को नियन्त्रित करना होगा। औद्योगिक संस्थानों में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि कम-से-कम व्यर्थ पदार्थ बाहर निकालें तथा निकलने वाले व्यर्थ पदार्थों एवं जल को उपचारित करके ही निकाला जाए। इसके अतिरिक्त नगरीय कूड़े-करकट को भी जैसे-तैसे नष्ट कर देना चाहिए तथा जल-स्रोतों में मिलने से रोकना चाहिए। जहाँ तक घरेलू जल-मल का प्रश्न है, इसकी भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। इससे गैस एवं खाद बनाने की अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए। (3) ध्वनि-प्रदूषण पर नियन्त्रण- ध्वनि-प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए भी विशेष उपाय किये जाने चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो वाहनों के हॉर्न अनावश्यक रूप से न बजाये जाएँ। कल-कारखानों में जहाँ-जहाँ सम्भव हो मशीनों में साइलेन्सर लगाये जाएँ। सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकरों आदि के इस्तेमाल को नियन्त्रित किया जाना चाहिए। घरों में भी रेडियो, टी० वी० आदि की ध्वनि को नियन्त्रित रखा जाना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों में छुट्टी आदि के लिए बजने वाले उच्च ध्वनि के सायरन न लगाए जाएँ। इन उपायों एवं सावधानियों को अपनाकर काफी हद तक ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है।  | 
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