1.

पत्र अपने समय के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की बातों/विचारों का दस्तावेज़ होता है। इसलिए महत्त्वपूर्ण पत्रों का संकलन भी किया जाता है और समय-समय पर उससे लाभ भी उठाया जाता है। तुम्हें पता होगा कि भारत की आज़ादी के लिए क्रांतिकारी आंदोलन भी चला था जिसमें सरदार भगत सिंहभी शामिल थे। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उनके द्वारा अपने मित्रों को लिखे गए एक पत्र को आगे दिया गया है। तुम इसे पढ़ो। साथियों, ज़िंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मेरा ज़िंदा रहना मशरूत (सशर्त) है। मैं बंदी बनकर या पाबंद होकर ज़िंदा रहना नहीं चाहता। मेरा नाम हिंदुस्तानी इंकलाब पार्टी का निशान बन चुका है और इंकलाब-पसंद पार्टी के आदर्शों और बलिदानों ने मुझे बहुत ऊँचा कर दिया है। इतना ऊँचा कि ज़िंदा रहने की सूरत में इससे ऊँचा मैं हरगिज़ नहीं हो सकता। आज मेरी कमज़ोरियाँ लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे ज़ाहिर हो जाएँगी और इंकलाब का निशान मद्धिम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए। लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते फाँसी पाने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना साम्राज्यवाद की संपूर्ण शैतानी शक्तियों के बस की बात न रहेगी। हाँ, एक विचार आज भी कचोटता है। देश और इंसानियत के लिए जो कुछ हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका हज़ारवाँ हिस्सा भी मैं पूरा नहीं कर पाया। अगर ज़िंदा रह सकता तो शायद इनको पूरा करने का मौका मिल जाता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता। इसके सिवा कोई लालच मेरे दिल में फाँसी से बचा रहने के लिए कभी नहीं आया। मुझसे ज़्यादा खुशकिस्मत और कौन होगा? मुझे आजकल अपने आप पर बहुत नाज़ है। अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इंतिहां का इंतज़ार है। आरज़ू है कि यह और करीब हो जाए। आपका साथी भगत सिंह अब तुम बताओ कि 1. तुम्हें इस पत्र द्वारा आज़ादी से पहले किसके बारे में और क्या जानकारी मिली। 2. तुमने देखा कि पत्रों द्वारा तुम्हें देश-विदेश की ही नहीं बल्कि किसी भी समय, किसी भी महत्त्वपूर्ण बात की जानकारी मिल सकती है। तुम अपनी पसंद के विभिन्न समय, समाज और महत्त्वपूर्ण संदर्भों से जुड़े कुछ पत्रों का एक संकलन तैयार करो तथा उस पर अपने साथियों के साथ बातचीत भी करो।

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पत्र अपने समय के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की बातों/विचारों का दस्तावेज़ होता है। इसलिए महत्त्वपूर्ण पत्रों का संकलन भी किया जाता है और समय-समय पर उससे लाभ भी उठाया जाता है। तुम्हें पता होगा कि भारत की आज़ादी के लिए क्रांतिकारी आंदोलन भी चला था जिसमें सरदार भगत सिंहभी शामिल थे। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उनके द्वारा अपने मित्रों को लिखे गए एक पत्र को आगे दिया गया है। तुम इसे पढ़ो।













साथियों,


ज़िंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मेरा ज़िंदा रहना मशरूत (सशर्त) है। मैं बंदी बनकर या पाबंद होकर ज़िंदा रहना नहीं चाहता। मेरा नाम हिंदुस्तानी इंकलाब पार्टी का निशान बन चुका है और इंकलाब-पसंद पार्टी के आदर्शों और बलिदानों ने मुझे बहुत ऊँचा कर दिया है। इतना ऊँचा कि ज़िंदा रहने की सूरत में इससे ऊँचा मैं हरगिज़ नहीं हो सकता।


आज मेरी कमज़ोरियाँ लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे ज़ाहिर हो जाएँगी और इंकलाब का निशान मद्धिम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए। लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते फाँसी पाने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आज़ादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना साम्राज्यवाद की संपूर्ण शैतानी शक्तियों के बस की बात न रहेगी।


हाँ, एक विचार आज भी कचोटता है। देश और इंसानियत के लिए जो कुछ हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका हज़ारवाँ हिस्सा भी मैं पूरा नहीं कर पाया। अगर ज़िंदा रह सकता तो शायद इनको पूरा करने का मौका मिल जाता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता।


इसके सिवा कोई लालच मेरे दिल में फाँसी से बचा रहने के लिए कभी नहीं आया। मुझसे ज़्यादा खुशकिस्मत और कौन होगा? मुझे आजकल अपने आप पर बहुत नाज़ है। अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इंतिहां का इंतज़ार है। आरज़ू है कि यह और करीब हो जाए।


आपका साथी


भगत सिंह






अब तुम बताओ कि


1. तुम्हें इस पत्र द्वारा आज़ादी से पहले किसके बारे में और क्या जानकारी मिली।


2. तुमने देखा कि पत्रों द्वारा तुम्हें देश-विदेश की ही नहीं बल्कि किसी भी समय, किसी भी महत्त्वपूर्ण बात की जानकारी मिल सकती है। तुम अपनी पसंद के विभिन्न समय, समाज और महत्त्वपूर्ण संदर्भों से जुड़े कुछ पत्रों का एक संकलन तैयार करो तथा उस पर अपने साथियों के साथ बातचीत भी करो।



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