| Answer» राजीव-लोंगोवाल समझौता अथवा पंजाब समझौतासन् 1984 के चुनावों के बाद सत्ता में आने वाले तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने नरमपन्थी अकाली नेताओं से वार्ता आरम्भ की। अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष हरचरन सिंह लोंगोवाल के साथ जुलाई 1985 में एक समझौता हुआ। इस समझौते को ‘राजीव गांधी-लोंगोवाल समझौता’ अथवा ‘पंजाब समझौता’ कहते हैं।
 समझौते की प्रमुख शर्ते(1) यह समझौता पंजाब में शान्ति कायम करने की दिशा में एक शीर्षस्थ कदम था। इस बात पर सहमति हुई कि चण्डीगढ़, पंजाब को दे दिया जाएगा तथा पंजाब एवं हरियाणा के मध्य सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक अलग आयोग की नियुक्ति होगी। समझौते में यह भी निश्चित किया गया कि पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के मध्य रावी-व्यास के पानी के बँटवारे के बारे में फैसला करने हेतु एक ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) बैठाया जाएगा।
 (2) समझौते में सरकार पंजाब में उग्रवाद से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने व उनके साथ अच्छा व्यवहार करने पर राजी हुई। साथ ही पंजाब से विशेष सुरक्षा वाले अधिनियम को वापस लेने की बात पर भी सहमति हुई।
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