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राष्ट्रीय आय की गणना-विधियाँ कौन-कौन-सी हैं ? समझाइए।याराष्ट्रीय आय मापने की प्रमुख विधियाँ बताइए। याराष्ट्रीय आय अनुमान की विभिन्न अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए।याराष्ट्रीय आय क्या है? राष्ट्रीय आय के आकलन (नापने) की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।याराष्ट्रीय आय क्या है? इसे मापने की उत्पादन गणना विधि अथवा आय गणना विधि में से किसी एक विधि का वर्णन कीजिए। याराष्ट्रीय आय मापने की किसी एक विधि को समझाइए। याराष्ट्रीय आय को अनुमानित करने की उत्पादन विधि का वर्णन कीजिए। याराष्ट्रीय आय मापने की उत्पादन विधि को समझाइए।

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राष्ट्रीय आय की गणना-विधियाँ 
राष्ट्रीय आय की गणना करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है

1. उत्पादन गणना-विधि – इस विधि में देश के सभी प्रकार के उत्पादकों का कुल उत्पादन ज्ञात किया जाता है। कुल उत्पादन ज्ञात करने के लिए वे समस्त वस्तुएँ व सेवाएँ जिनका विक्रय किया गया है, स्वयं प्रयोग की गयी वस्तुएँ तथा बचे हुए स्टॉक को जोड़ दिया जाता है। कुल उत्पादन में से ह्रास व अप्रचलन घटाकर शुद्ध उत्पादन ज्ञात कर लिया जाता है। सभी उत्पादकों के शुद्ध उत्पादन के योग में समस्त राष्ट्र का वास्तविक कुल घरेलू उत्पादन तथा शुद्ध विदेशी आय जोड़ देने से कुल राष्ट्रीय लाभांश ज्ञात हो जाता है। इस रीति के अन्तर्गत एक वर्ष में वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के मौद्रिक मूल्य का योग निकाला जाता है तथा देश के वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन सम्बन्धी आँकड़े एकत्रित किये जाते हैं। इस विधि को वस्तु-सेवा गणना-विधि भी कहा जाता है।
इस विधि का प्रमुख दोष यह है कि इसमें कभी-कभी वस्तुओं की दोहरी गणना हो जाती है। दूसरे, इस रीति के अनुसार सेवाओं का मूल्यांकन करना कठिन हो जाता है।
2. आय गणना-विधि – इस विधि में देश के सभी व्यक्तियों की आय ज्ञात करके उन्हें जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार कुल राष्ट्रीय आय ज्ञात हो जाती है। इस विधि को प्रयोग में लाने के लिए जो व्यक्ति आयकर देते हैं उनकी आय तो आय कर विभाग से मालूम कर ली जाती है और जो लोग आयकर नहीं देते, उनकी आय पारिवारिक बजट व अन्य सूचनाएँ एकत्रित करके ज्ञात की जाती है। परन्तु जो व्यक्ति आय कर नहीं देते उनके सम्बन्ध में वास्तविक जानकारी प्राप्त करना एक कठिन कार्य है। इसलिए आय का सही ज्ञान नहीं हो पाता है।
3. व्यय गणना-रीति – इस रीति के अनुसार सभी नागरिकों द्वारा किया गया व्यय एवं बचतों को जोड़ दिया जाता है। यही जोड़ राष्ट्रीय आय कहलाता है। इस बात को हम इस प्रकार कह सकते हैं। कि व्यक्तिगत आय = उपभोग व्यय + बचते या राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उपभोग व्यय + राष्ट्रीय बचते। किसी देश का विनियोग राष्ट्रीय बचत पर निर्भर होता है या बचतों के बराबर होता है। इसलिए इस रीति को ‘उपभोग विनियोग रीति’ भी कहा जाता है। इस विधि की सबसे बड़ी कमी यह है कि देश के सभी व्यक्तियों के उपभोग व्यय सम्बन्धी आँकड़ों व बचतों की सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है। इस कारण राष्ट्रीय आय की गणना करना कठिन होता है।
4. मिश्रित विधि – इस विधि के समर्थक डॉ० वी० के० आर० वी० राव हैं। इस प्रणाली में उत्पादन गणना-रीति व आय गणना-रीति दोनों का मिला-जुला उपयोग किया जाता है। कृषि, खनिज तथा उद्योगों के क्षेत्र में उत्पादन गणना-रीति और व्यापार, परिवहन, प्रशासनिक सेवाओं व अन्य सेवाओं आदि के क्षेत्र में आय गणना-रीति का उपयोग किया जाता है। भारत की राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रीय आय समिति ने इसी गणना विधि का प्रयोग किया था। इस मिली-जुली विधि का प्रयोग हमारे देश के लिए उपयुक्त है।



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