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रणजीत सिंह के बचपन की बहादुरी की घटनाओं का वर्णन करो।

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बचपन से ही रणजीत सिंह बड़ा वीर था। वह अभी दस वर्ष का ही था जब वह सोहदरा पर आक्रमण करने के लिए अपने पिता जी के साथ गया। उसने न केवल शत्रु को बुरी तरह पराजित किया अपितु उसका गोला-बारूद आदि भी अपने अधिकार में ले लिया। एक बार रणजीत सिंह अकेला घोड़े पर सवार होकर शिकार से लौट रहा था।

उसके पिता के शत्रु हशमत खां ने उसे देख लिया। वह रणजीत सिंह को मारने के लिए झाड़ी में छुप गया। ज्योंही रणजीत सिंह उस झाड़ी के पास से गुज़रा, हशमत खां ने उस पर तलवार से प्रहार किया। वार रणजीत सिंह पर न लगकर रकाब पर पड़ा जिसके उसी समय दो टुकड़े हो गए। बस फिर क्या था, बालक रणजीत सिंह ने ऐसी सतर्कता से हशमत खां पर वार किया कि उसका सिर धड़ से अलग हो गया।



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