1.

साम्यावस्था में किसी गैस का घनत्व और दाब अपने सम्पूर्ण आयतन में एकसमान है।यह पूर्णतया सत्य केवल तभी है जब कोई भी बाह्य प्रभाव न हो। उदाहरण के लिए गुरूत्व से प्रभावित किसी गैस स्तम्भ् का घनत्व (और दाब) एकसमान नहीं होता हैं जैसा कि आप आशा करेंगें इसका घनत्व ऊंचाई के साथ घटता है। परिशुद्ध निर्भरता वातावरण के नियम `n_(2)=n_(1) "exp" [-(mg)/(k_(B)T)(h_(2)-h_(1))]` से दी जाती है यहां `n_(2),n_(1)` क्रमशः `h_(2)` व `h_(1)` ऊंचाइयों पर संख्यात्मक घनत्व को प्रदर्शित करते हैं। इस संबंध का उपयोग द्रव स्तम्भ में निलम्‍बित किसी कण के असवादन साम्य के लिए समीकरण `n_(2)=n_(1) "exp"[-(mgN_(A))/(rho RT)(rho=rho’)(h_(2)-h_(1))]` का व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए, यहां `rho` निलम्‍बित कण का घनत्व तथा `rho’` चारों तरफ के माध्यम का घनत्व है। `N_(A)` आवोगाद्रो संख्या तथा `R` सार्वत्रिक गैस नियतांक है।

Answer» जब `m` द्रव्यमान (घनत्व `rho`) का कण `rho’` घनत्व वाले माध्यम से घिरा है तो कण पर एक उत्लात वन बल कार्य करता है तब कण का प्रभावी भार
`W_("प्रभावी")=mg-Vrho’g`
जिसमें `V` हटाये गये परिवेश माध्यम का आयतन है जो निलम्‍बित कण के आयतन के बराबर है।
अर्थात `V=m/(rho)`
`:.W_("प्रभावी")=mg-(m/(rho))rho’g=mg(1-(rho’)/(rho))`…………i
वातावरण के नियम की दी गयी समीकरण है ltbrLgt `n_(2)=n_(1)e^((-mg)/(k_(B)T)(h_(2)-h_(1)))`
`mg` को कण के प्रभावी भार से हटाने पर
`n_(2)=n_(1)e^((-mg(1-(rho’)/(rho)))/(k_(B)T)(h_(2)-h_(1)))=n_(1)e^(((-mg(rho-rho’))/(rhok_(B)T)(h_(2)-h_(1)))`
हम जानते है `k_(B)=R/N` यह मान उपरोक्त समीकरण में रखने पर
`n_(2)=n_(1)e^((-mgN(rho-rho’))/(rhoRT)(h_(2)-h_(1)))`
यही अभीष्ट संबंध है।


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