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शिक्षा के औपचारिक अभिकरण के रूप में विद्यालय का विकास कैसे हुआ है ?

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विद्यालय के विकास के कारक (Points of Development of Schools)

शिक्षा के औपचारिक अभिकरण के रूप में व्यवस्थित विद्यालयों का विकास सभ्यता के पर्याप्त विकास के बहुत बाद में हुआ है। शिक्षा के औपचारिक अभिकरण के रूप में विद्यालय के विकास को प्रोत्साहन देने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैं

1. पारम्परिक परिवार के स्वरूप में परिवर्तन- पारम्परिक रूप से परिवार का स्वरूप एवं आकार आज के एकाकी परिवार से नितान्त भिन्न था। परिवार बड़े एवं विस्तृत थे। इस प्रकार के परिवारों में बच्चों की सामान्य शिक्षा की समुचित व्यवस्था परिवार में ही हो जाती थी। परन्तु जब पारम्परिक परिवार ने क्रमशः एकाकी परिवार का रूप ग्रहण किया तो परिवार में बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था हो पाना असम्भव हो गया। अत: बच्चों की शिक्षा की सुचारु व्यवस्था के लिए व्यवस्थित विद्यालयों की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी। इसके अतिरिक्त सभ्यता के विकास के साथ-साथ शिक्षा भी अधिक विस्तृत, विशिष्ट एवं जटिल हो गई। इस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था घर पर सम्भव नहीं थी।
2. परिवार द्वारा दायित्वमुक्त होना- पारम्परिक रूप से बच्चों की शिक्षा का दायित्व परिवार का होता था, परन्तु वर्तमान सभ्यता के विकास के परिणामस्वरूप बच्चों की शिक्षा को सार्वजनिक एवं सामाजिक क्षेत्र का कार्य मान लिया गया। इसके साथ ही शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए विद्यालय का विकास भी हुआ।
3. विद्यालय के विकास के आर्थिक कारण- विद्यालय के विकास के लिए कुछ आर्थिक कारक भी जिम्मेदार हैं। सभ्यता के विकास के साथ-साथ परिवार की आर्थिक समस्याएँ बढ़ने लगीं। इन दशाओं में बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना परिवार के लिए प्रायः असम्भव हो गया। अत: बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था के लिए विद्यालय का प्रादुर्भाव हुआ।



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