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“शक्ति ही जीवन और कमज़ोरी ही मृत्यु है।” 

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प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘युवाओं से’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक स्वामी विवेकानंद हैं।
संदर्भ : विवेकानंद कहते है शक्ति जीवन का ही दूसरा नाम है। वे युवाओं को शक्तिवान होने का संदेश देते हैं।
स्पष्टीकरण : विवेकानंद कहते हैं कि शक्ति परम सुख है। शक्ति आपको गर्वित करती है। वह आपमें आत्मविश्वास, स्वाभिमान का संचार करती है। कमजोर होना, कायर होने का स्वभाव है। कायरता या कमजोरी कभी न हटने वाला बोझ और मानसिक यंत्रणा है। वे कहते हैं कमजोरी मृत्यु के समान है और शक्ति ही जीवन है।



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