1.

‘यह याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘युवाओं से’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक स्वामी विवेकानंद हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य को स्वामी विवेकानंद जी नवयुवकों को मार्गदर्शन देते हुए अपने भाषण में कहते है।
स्पष्टीकरण : स्वामी विवेकानंद कहते है कि युवा दुर्बल नहीं हैं। वे सब ईश्वर की संतान हैं, उनकी आत्मा पवित्र और पूर्ण है। वे स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं। उनका बल उन्ही के भीतर है। इन शब्दों द्वारा वे युवकों को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा दे रहे हैं।



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