InterviewSolution
Saved Bookmarks
| 1. |
शरीरवृद्धि के साथ मनोवृद्धि होती है। लड़कों की मनोवृद्धि करनी है, उनको शिक्षा देनी है, तो शारीरिक श्रम कराके उनकी भूख जाग्रत करनी चाहिए। परिश्रम से उनकी भूख बढ़ेगी। जिसको दिनभर में तीन बार भूख लगती है उसे अधिक धार्मिक समझना चाहिए । भूख लगना जीवित मनुष्य का धर्म है। जिसे दिनभर में एक ही दफा भूख लगती है, संभवतः उसका जीवन अनीतिमय होगा। भूख तो भगवान का सन्देश है। भूख न होती तो दुनिया बिलकुल अनीतिमान और अधार्मिक बन जाती। फिर नैतिक प्रेरणा ही हमारे अंदर न होती । किसी को भूख-प्यास अगर न लगती तो हमें अतिथि-सत्कार का मौका कैसे मिलता ? सामने यह खम्भा खड़ा है, इसका हम क्या सत्कार करेंगे ? इसको न भूख है, न प्यास । हमें भूख लगती है, इसलिए हमारे पास धर्म है। उपर्युक्त गद्यखण्ड का एक तिहाई (१/३) शब्दों में सार लिखिए तथा उसे उचित शीर्षक दीजिए। |
| Answer» शारीरिक श्रम से न ही सिर्फ शारीरिक वृद्धि होती है, पर मनोवृद्धि भी होती है जो मनुष्य की भूख जाग्रत करके उसको चेतना प्रदान करती है और सचेतन मनुष्य जिन्दादिल रहता है इसलिए, भूख लगना एक मनुष्य धर्म है जिससे नैतिक प्रेरणा मनुष्य में समाती है और उसे सजग करती है। | |